CBSE ने नई पोलीसी के तहत 2025–26 में ‘मदर टंग फर्स्ट’ मॉडल लागू किया है। इसका उद्देश्य प्राथमिक भाषा में पढ़ाई से बच्चों की बुनियादी समझ को सशक्त बनाना है। इस पहल का लक्ष्य मातृभाषा में शिक्षा देकर प्रारंभिक साक्षरता एवं संज्ञानात्मक विकास को बढ़ाना है।
इस नीति से महाविद्यालयीन प्रवेश नीतियों पर असर पड़ेगा और भविष्य में भाषा-आधारित विभाजन की चिंता भी है, जैसा कि विभाजनकारी परिणामों की आशंका जताई जा रही है ।CBSE ने 28 मई 2025 को कहा कि 2025–26 सत्र से सभी CBSE-प्रशासित स्कूल “मदर टंग फर्स्ट” शिक्षण प्रणाली लागू करेंगे । NEP-2020 और NCFS-2023 (Part C, पृष्ठ 239) के अनुरूप, प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाएगा, जब तक कि वे दूसरी भाषा (जैसे अंग्रेजी/हिन्दी) में मौलिक साक्षरता प्राप्त न कर लें। समर्थक इस बात पर ज़ोर देते हैं कि घर की भाषा में शिक्षा से बच्चे की अवधारणागत समझ मजबूत होती है और ज्ञान ग्रहण सुविधा होती है। वहीं, आलोचकों का कहना है कि यह कदम विद्वानों और अंग्रेजी-प्रमुख विश्वविद्यालयों के लिए अवसरों को बाधित कर सकता है, जिससे समाजिक असमानता बढ़ सकती है|